नर नारी पर लोग सवाल है उठाते
इनके भेद भाव को हटाने के लिए
जान लेने व देन पर भी उतर जाते
आज की जनता इन पर बहुत गर्व है करती
दूसरी तरफ हमें यू देखकर हंसती
मनोरंजन का हमे यू पात्र बनाया
कई लोगो को यह बात समझ भी आया
नाच , गाना , दुआ करना
सायद यही है बस काम हमारा
ऐसा मै नहीं दुनिया के लोग है कहते
किन्नर , हिंजरा , ट्रांसजेंडर नाम से कहते
पैदा होते ही घर से निकाल दिए जाते
आए तो हमभी नर नारी से ही है
पर इन्हें सम्मान देते वक्त लोग हमें क्यों भुल जाते?
अलग सी होती बस्ती हमारी
जिसमे हमारे जैसे लोग ही रहते
हम्भी अपने सपनों को नाम देना चाहते
पढ़ लिखकर नर नारी के तरह सम्मान पाना चाहते!
पर यह सब भी रात के सपने जैसा लगता
जो बंद आखो से एक उम्मीद जगाता
आंख खोलते ही गायब सा हो जाता
हमें भी क्या कभी बराबरी मिलेगी
नर नारी के तरह वह हर सम्मान मिलेगी
क्या तर्क से फर्क आ पायेगा?