मै एसी चीज़ नहीं जो घबराकर पलट जाऊ
मै तितली नहीं बिजली हू
चमकी तो चिमट जाऊगी।
मीठी सी नींद से जागो सपनों से
हकीकत में आने का वक्त हो गया।
तुम बिजली नहीं एक मोटी सी लड़की हो।
मै चमकी तो चिमट जाऊंगी।
चमक ने से पहले तुम अपने कपड़ों में उलझ जाओगी।
तुम मोटी हो पुराने कपड़ों की सिलाई खोलने में उलझ जाओगी।
मै एसी चीज़ नहीं जो घबराकर पलट जाऊ
हां पर में ऐसी चीज़ हूं जो भरी महफ़िल में मज़ाक बन जाऊ,क्योंकि में मोटी हू इसलिए हंसी का पात्र बन जाऊ
सिर्फ एक वक़्त ही खाना खाती हूं फिर भी,
खाने पर भी नियंत्रण रखो ये सुनती हू क्योंकि में मोटी हूं।
अपने दोस्तो के साथ लौंग ड्राइव पर जाना चाहती हूं।
पर अरे पहिए की हवा निकल जाएगी अगर तुम बैठी,
गाड़ी भी और नीचे दब जाएगी अगर तुम बैठी।
कभी कबार अपनी सहेलियों के साथ मिलकर
पित्जा बर्गर खाना चाहती हूं, चाट और खिचड़ी भी खाना चाहती हूं, मै तो अपने पापा के पैसों से खाती हूं।फिर भी लोग एसे देखते है जैसे उनकी मिलकत लेके भागी हूं।
वो लड़की चेहरे से अच्छी है और पतली इस लिए सुंदर है
वो लड़की भी चेहरे से अच्छी पर मोटी है इस लिए आंख मे थोड़ी सी चुभती है वो लड़की मोटी है।
किसी मोटे इंसान की मशकरी के वक़्त तुम्हे मै याद आती हूं क्योंकि मै भी उसी की तरह मोटी हूं।
उसी मोटे इंसान की तरक्की सभी जगह छाई रहती है,
तब मै तुम्हे क्यो नही याद आती हूं? मै तो अभी भी मोटी हूं।
छोटी सी मोटी सी बच्ची गोलू मोलू सी क्यूट दिखती है।
वही बड़ी जवान मोटी बच्ची अब भद्दी दिखती है।
पतली सी गोरी लड़की चुप चुप सी हो क्लास में ,
सभी की नजर जाती क्या हुआ होगा उसके मन में।
मोटी सी लड़की अगर बैठी हो लिए आंखो में आंसू,
मोटी तो जूठी है पागल है जो बैठी है लिए आंखो में आंसू
शॉर्ट्स और फटी जींस की फेशन में,
पतली लड़की लगे मॉर्डन फैशनेबल देव समान।
पूरी ढंकी हुई मोटी सी लड़की है प्राचीन देव समान
फिर भी तुमको लगे वो नए जंहा के जोकर समान।
तुम्हारी यही सब सोच ने तुम्हारा काम कर दिया,
तुमने मुझ में ही खुद के लिए नफरत का दिया यूं सारे आम जला दिया ।
बधाई हो, तुमने मुझ से ही मुझको दूर कर दिया।
तुम्हारी यही सब सोच ने तुम्हारा काम कर दिया।
हर सुबह जो निकाल पड़ती है खुद की तलाश में,
वो खोई हुई सी एक पहचान हूं मै,
बधाई हो तुम्हे, तुमने मुझे खुद की ही पहचान बदलने पर मजबुर कर दिया।
बधाईहो तुम्हे ,तुमने यह काम भी सफल कर दिया।
– बिनल राठवा