शब्द नहीं निशब्द हूँ मैं , शब्दों का खाली कोष हूँ मैं ,
चलते – चलते थम गई मैं , भीड़ का खाली शोर हूँ मैं,
रक्त हूँ चरित्र हूँ , लहरों का खाली शोर हूँ मैं,
आँधी थी मैं, धूल हो गई , हर दिल मैं अब अक्रोश हूँ मैं ,
दुनिया के इस रंगमंच मैं खाली एक डोर हूँ मैं ,
पर अब जो भी हो एक जोश हूँ मैं , नई आगाज़ का रोष हूँ मैं ,
निर्मल हूँ , शक्ति हूँ , अनमोल हूँ मैं , पहचाने गी अब दुनिया
मुझे , जोश हूँ , ज़नून हूँ मैं , ज्वार भाट सी फूट रही आग्नि से
सराबोर हूँ मैं , रचना हूँ , संरचना हूँ , ख़ुद की ही खोज हूँ मैं
नारी हूँ , शक्ति हूँ , हर जननी का शब्द घोष हूँ मैं |