आसमां तक ना पहुँचे तो क्या,
पाँव जमीं से उठे तो सही ;
दिल से दिल ना मिल सके तो क्या,
दिल मिलने को आगे आये तो सही;
कोशिश की और मंजिल ना मिली बेशक पर
पाने को कदम राह पर बढे तो सही;
ज़िंदगी में ठोकर खा गिरे तो क्या,
गिर के फिर से हम उठे तो सही;
सफ़र में ज़िंदगी की धोके मिले तो क्या,
मैंने लोगों की पहचान करना सीखा तो सही;
चाहा और ना मिली खुशियाँ तो क्या,
खुशियों की तलाश में मुसाफ़िर मिले तो कई;
प्यार के लिए आँखें नम ही रह गयी तो क्या,
मोहब्बत की राह में सबक मिले तो कई ;