हाँ उससे अब मुलाकात नही होती,
हाँ उससे अब बात नही होती,
जिंदगानी उसके बिना कुछ इस कदर अधूरी है,
क़ि जैसे चाँद के बिना वो पूरी रात नही होती,
हाँ उससे अब मुलाक़ात नही होती…,,
काबिल होता तेरे तो कब का क़ुबूल फरमा दिया होता,
मोहब्बत मेरी भी यूँ गुमनाम नही होती,
हाँ उससे अब मुलाक़ात नही होती…,,
मोहब्बत थी या नही ये नही जानता पर कुछ तो राब्ता था उससे,वरना
जो जिंदगी साथ गुजरी वो इतनी ख़ास नही होती,
हाँ उससे अब मुलाक़ात नही होती…,
मिलते न धोखे मोहब्बत में किसी को ,
तो मोहब्बत भी यूँ बदनाम नही होती,
हाँ उससे अब मुलाक़ात नही होती…,,
सुना है आँखों से बात होती है मोहब्बत में,
अगर मोहब्बत न होती इस जहां में तो आँखों से बात करने की ये कला इज़ाद नही होती,
हाँ उससे अब मुलाक़ात नही होती…,,