मैं प्रगतिशील नारी!
वही नारी जो पीसती थी।
अपने सपनों को समाज की चक्की में,
आज अनेकों उद्योगों की मालकिन हूँ।
मैं प्रगतिशील नारी!
वही नारी अन्याय सहना जिसकी नियति थी।
आज स्वयं न्याय सिहांसन पर आसीन हूँ।।
मैं प्रगतिशील नारी!
वही नारी जो तरसती थी,
पाठशाला में जाने को,
आज स्वयं शिक्षिका हूँ।
मैं प्रगतिशील नारी!
वही नारी जो अपनी भावनाओं को,
कहने से कतराती थी,
आज स्वयं लेखिका हूँ।
राग अनुराग की बात करूँ तो,
मैं प्रेयसी और प्रियतमा भी हूँ।
जिसकी प्राथमिकता प्रेम ही है।।
सबसे अनोखी बात,
सृष्टि का आधार हूँ।
मैं प्रगतिशील नारी हूँ।।
मैं प्रगतिशील नारी!
वही नारी जो पीसती थी।
अपने सपनों को समाज की चक्की में,
आज अनेकों उद्योगों की मालकिन हूँ।
मैं प्रगतिशील नारी!
वही नारी अन्याय सहना जिसकी नियति थी।
आज स्वयं न्याय सिहांसन पर आसीन हूँ।।
मैं प्रगतिशील नारी!
वही नारी जो तरसती थी,
पाठशाला में जाने को,
आज स्वयं शिक्षिका हूँ।
मैं प्रगतिशील नारी!
वही नारी जो अपनी भावनाओं को,
कहने से कतराती थी,
आज स्वयं लेखिका हूँ।
राग अनुराग की बात करूँ तो,
मैं प्रेयसी और प्रियतमा भी हूँ।
जिसकी प्राथमिकता प्रेम ही है।।
सबसे अनोखी बात,
सृष्टि का आधार हूँ।
मैं प्रगतिशील नारी हूँ।।