जब से लॉकडाउन लगा है
घर में सबको आराम मिला है
कभी सोचा है
की अब मां का काम दो गुना हो गया है?
रोज़ की भाग दौड़ से पापा और बच्चो को तो आराम मिला
मगर कभी यह सोचा
मा को कितना आराम मिला ?
हर रोज़ वहीं जल्दी उठके
घर को संभालना
अब सब घर है
तो सबकी डिमांड पर
रोज़ नए पकवान भी बनाना।
मां को पूरे दिन का मेनू सुबह ही बता देना
फिर खूब मज़े से खाना खाना
कभी बांटा है हाथ मां का
खाना बनाने में
अगर नहीं तो आज बाटना
मा के हाथ से खाना तो बहुत बार खाया होगा
कभी अपने हाथ से खिलाया है?
आज खिला के देखना
खाने का स्वाद ही अलग होगा
याद है मा से वो
तेल की चंपी कितनी बार कराई
कभी यह सोचा आज मा थक गई होगी
आज उनकी करना
फिर देखना मा कैसे मुस्कुराई
दोस्तो से तो बहुत ई लव यूं बोला होगा
आखिरी बार मा को कब बोला था
आज बोल के देखना घर का माहौल ही अलग होगा
मदर्स डे पर तो हर बच्चा मा को गले लगता है
आज यू ही प्यार से लगा के देखना
मा का चहरा कैसे मुस्कुराता है
कहते है मा तो मा होती है
गम दो चाहे प्यार
फिर भी प्यार करेगी
तुम्हारी हर हार जीत में
तुम्हरे साथ खड़ी रहेगी
खैर, हर मां की यही कहानी है
फिर भी वो परेशान नहीं है
आखिर उनका परिवार एक साथ है
और वो इसी में खुशहाल है
चलो तो आज मा को लॉक्नडाउन मै
एक छूटी दे के देखो
तुम्हे कितनी दुआएं देगी।
यह कभी सोच के तो देखो