क्या याद है तुम्हे वो दिन जो स्कूल में बिताए थे ।
जब हमने टीचर के अंतरंगी नाम गुन गुनाए थे।
जब हमने अपने मुसीबतों के किसे अपने दोस्तों को सुनाए थे।
तब दोस्तों ने वो किसे हँसते-हँसते सुलझाए थे।
क्या याद है तुम्हे वो दिन जो स्कूल में बिताए थे ।
वो मैथ्स की कलास में साईंस पढ़ना।
वो स्कूल कैनटीन में दूखी दोस्तों का मन बहलाना ।
और फिर वो चलती कलास में छुप-छुप कर टिफ़िन खाना ।
क्या याद है तुम्हे वो दिन जो स्कूल में बिताए थे ।
वो दोस्तों के साथ छुट्टी होने का इंतजार ।
वो कलास में टीचर न होने पे बवाल।
जिस पर माशा अल्लाह वो बेचारे मॉनीटर का बुरा हाल ।
क्या याद है तुम्हे वो दिन जो स्कूल में बिताए थे ।
वो दूसरों का मजाक उड़ाकर हँसना ।
वो दोस्तों की ग़लती में उनके साथ फसना।
अब इन बातों को याद कर दिल खुश हो जाता है,
और इन सुनहरे पलों को फिर दोहराना चाहता है ।