आत्मा का श्रृंगार करो
सत्य के सोपान से
शांति का गहना धरो
विश्व के कल्याण के लिए
सुख-दुख का पहिया चलता रहेगा
मत नश्वर जीवन से मोह लगाना
जागो प्यारे, तुम्हें है बहुत आगे जाना
अमर – अजेय आत्मा का श्रृंगार करो
ये सांसारिक बंधन हैं क्षणिक
मत इसमें उलझकर रह जाना
चिर निद्रा में खोने से पहले
सबको खुशियाँ बांटते जाना |