मै एक राही ख्वाहिशों का
चल पड़ा हूं सफर पर..
साथ मेरे हमसफ़र सी उम्मीद
कहती तु कुछ हासिल कर..
जब मै रुकता जब मै थकता
उम्मीद कहती तु बस आगे बढ़..
तु सिकंदर राहों का बस तु आगे बढ़ता चल
बस तू आगे बढ़ता चल..
मै एक राही हौसलों का
चल पड़ा हूं मंज़िल की ओर..
अब ना मै रुकता ना मै झुकता
जैसे आसमान ज़मीन की ओर..
चट्टान सी चुनौतिया खड़ी राह में
गम भी बारिश से बरस रहे..
कहर बरसता जमाना जैसे
हम कामयाबी के लिए तरस रहे..
मै एक रही ख्वाहिशों का..